हां भाई सही पकड़े हैं " छोटे घर की बेटी... "
भई हम तो न है बडे़ और न बड़ा बन्नो के शौक़ ही हैं, हां माल मोटा मिले और बड़ा घर मिल जाए और छोटा हो दुल्हा के दूल्हे के विचार हमे क्या?
सही पकड़े हैं, बियाह करने जा रही हूं मैं। मै यानी चंपा चमेली..... बचपन का सपना बस पूरा ही होने वाला है। पहले फैशन में सजती थी अब पिया जी के लिए टिकुली और नखुनपालिश और फाउंडेशन पोतूंगी। आप अचंभित होंगे मैंने खुदको प्रेमचंद वाली उस आनंदी से परे छोटे घर की बेटी क्यू कहा? भाई बात बड़ी सीधी सी है,। हम आनंदी की तरह बड़े विचारो वाली नही जो देवर की जली कटी सुने, फिर भी घर जोड़े रखे।।। हम छोटे घर की सही।
हां इससे क्या फर्क पड़ता है, के लड़के वाले खून चूस ले जाए, मेरे परिवार को नजरंदाज करे... मैं भी तो शादी के बाद उनका खून.... अ अ... अहम... ह....
नही मतलब मेरी कोन सी रोज शादी होनी है। मैं तो इतनी excited हु के अभी से सब सामान खरीद लाई हु... "उनसे" भी फोन पे रोज बात हो जाती है, दिक्कत होती थी। तोह साफ़ कह दिया कान खोसना दिला दीजिए, बहुत दीवाने है, अगले दिन भिजवा दिए...
हां no compromise कोई मरे या जिए हमको शादी परियों वाली चाहिए हम तो न बताएंगे सच्चा हाल और न खुद पैसे कमाते हैं के जाने पैसे कहा से आते है।
मै तो बस प्रेम की दीवानी हु और प्रेम की हो जाना चाहती हूं। मै और मेरे प्रेम खूब
buffet का खाना खाए और गाड़ी से निकले फिर उन का टेंशन बनूंगी I mean जीवन साथी।
मै छोटे घर की बेटी जल्द ही "छोटी बेटी commission" का प्रस्ताव सदन में लाऊंगी और सरकार से मांग करूंगी के मुझसी, और अबला सारी छोटी बेटियां शादी बेफिक्री से करे और हमारा नारा होगा - "शादी बार बार थोड़ी होती है।"
मुंह काला हो प्रेमचंद का।
प्रणाम।
- खुदकी चंपा चमेली