आज बाल कटाने सैलून गया था...
वहाँ पडे TV में news channel लगा हुआ था। समाचार में बता रहे थे कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर को बंगाल में पटक दिया गया है। दोष BJP और TMC के युवा कायकर्ता एक दूसरे पर लगा रहे थे। खैर, पटका किसी ने हो, मुझे खास दुख नही, ब्लकि दया भावना है। उन युवाओं के लिए जिन्होंने उन्हें गिराया। शायद ही वे कभी इस अपराध की गंभीरता को समझ पाएंगे। वैसे भी अब आदर्शों को कौन याद रखता है साहब?
आजकल तो नेता भी नचनिया, और जनता भी। मूल्यों की भी जगह filmy scripts ने ले ली है।
बंगाल हो या उत्तर प्रदेश,सबने समझ लिया है कि अब तो मूल्यों की राजनीति समाप्त है। इसिलिए शायद Urmila Matondkar मैदान में उतरीं। सूनने में आया कि जब वह मेकअप कर उठीं तो अचानक, उन्हे समाज में इतना अन्याय दिखा की वे झट से जाकर Congress से जुड़ गईं। उधर, दीदी ने भी उन्नति ( উন্নয়ন) के मुर्झाते पौधे में पानी डालने के लिए मिमी चक्रवर्ती, नूसरत जहाँ, सूपरस्टार देब, मूनमून सेन का सहारा लिया, साथ ही सत्ता में वंशवादी ताकतों के खिलाफ अपने भतीजे अभिषेक को भी गोद में बिठा लिया है।
BJP भी पिछे क्यों रहे? आजमगढ़ से निरहूआ को उतार दिया, और सनी देओल को ढाई किलो के हाथ के साथ गुरदासपुर रवाना किया। बाकी पार्टियों ने भी कोई तिकड़ी लगाई होगी, मेरा विश्वास है। साथ ही यह भी यकीन है कि लोकतंत्र को बचाने उतरे हमारे Cinema Stars बहुत मार्मिक होगें, और जनता की परवाह करते हैं। हाँ, गलती हमारी होगी अगर ये लोग न जीत पाए। इसलिए जरुरी है कि, देश के लोग खूले हाथों से इन लोगों के मेकअप के सामान के लिए योगदान करें।
अब नया युग है। यह ध्यान रखिये।
इसके साथ ही देश की सभी लोकतांत्रिक पार्टियों से अनुरोध है कि, कृप्या थोड़ा और मार्मिक बने, और आपकी जीत के लिए जो वस्तुऐं लगे उनका ही उपयोग करें, बाकी गंगा में फेंक आए। कहिए तो उन सभी युवाओं की तरह मैं भी- 'गाँधी', 'सुभाष चंद्र', 'विद्यासागर', 'भगत सिंह' सभी के विचारों और सिखाए नाकाफी मूल्यों की गठरी बाधने में मदद करूँगा।
-रमन
वहाँ पडे TV में news channel लगा हुआ था। समाचार में बता रहे थे कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर को बंगाल में पटक दिया गया है। दोष BJP और TMC के युवा कायकर्ता एक दूसरे पर लगा रहे थे। खैर, पटका किसी ने हो, मुझे खास दुख नही, ब्लकि दया भावना है। उन युवाओं के लिए जिन्होंने उन्हें गिराया। शायद ही वे कभी इस अपराध की गंभीरता को समझ पाएंगे। वैसे भी अब आदर्शों को कौन याद रखता है साहब?
आजकल तो नेता भी नचनिया, और जनता भी। मूल्यों की भी जगह filmy scripts ने ले ली है।
बंगाल हो या उत्तर प्रदेश,सबने समझ लिया है कि अब तो मूल्यों की राजनीति समाप्त है। इसिलिए शायद Urmila Matondkar मैदान में उतरीं। सूनने में आया कि जब वह मेकअप कर उठीं तो अचानक, उन्हे समाज में इतना अन्याय दिखा की वे झट से जाकर Congress से जुड़ गईं। उधर, दीदी ने भी उन्नति ( উন্নয়ন) के मुर्झाते पौधे में पानी डालने के लिए मिमी चक्रवर्ती, नूसरत जहाँ, सूपरस्टार देब, मूनमून सेन का सहारा लिया, साथ ही सत्ता में वंशवादी ताकतों के खिलाफ अपने भतीजे अभिषेक को भी गोद में बिठा लिया है।
BJP भी पिछे क्यों रहे? आजमगढ़ से निरहूआ को उतार दिया, और सनी देओल को ढाई किलो के हाथ के साथ गुरदासपुर रवाना किया। बाकी पार्टियों ने भी कोई तिकड़ी लगाई होगी, मेरा विश्वास है। साथ ही यह भी यकीन है कि लोकतंत्र को बचाने उतरे हमारे Cinema Stars बहुत मार्मिक होगें, और जनता की परवाह करते हैं। हाँ, गलती हमारी होगी अगर ये लोग न जीत पाए। इसलिए जरुरी है कि, देश के लोग खूले हाथों से इन लोगों के मेकअप के सामान के लिए योगदान करें।
अब नया युग है। यह ध्यान रखिये।
इसके साथ ही देश की सभी लोकतांत्रिक पार्टियों से अनुरोध है कि, कृप्या थोड़ा और मार्मिक बने, और आपकी जीत के लिए जो वस्तुऐं लगे उनका ही उपयोग करें, बाकी गंगा में फेंक आए। कहिए तो उन सभी युवाओं की तरह मैं भी- 'गाँधी', 'सुभाष चंद्र', 'विद्यासागर', 'भगत सिंह' सभी के विचारों और सिखाए नाकाफी मूल्यों की गठरी बाधने में मदद करूँगा।
-रमन
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